ये जो शॉर्टकट तरीका है, पाप धोने का

पाप किया जाइये, रुद्राक्ष है  आप हत्या भी करें, बस चार-मुखी रुद्राक्ष है न। भारत में पाप धोने का कॉन्सेप्ट है। कभी रुद्राक्ष है, तो कभी गंगा। कभी प्रयाग है, तो कभी कुंभ मेला। गंगा तो वैसे भी पापियों के पाप धो धोकर खुद ही गंदी हो गयी है, लोगों के पाप क्या धोएगी (व्यंग्य) वैसे पाप क्या है? यह सच में होता है, क्या?
क्या पाप धोना संभव है? अगर पाप है, तब भी इसकी जिम्मेदारी लेना अच्छा नहीं होता, शॉर्टकट तरीके से धोने की लालसा करने की जगह? इसपर आप सोचिये! नहीं तो ये धर्म के धंधेबाज हमें और आपको लूट खायेंगे झूठे कॉन्सेप्ट और खड़ा किये गए षड्यंत्र के आधार पर
पेपर क्लिपिंग ऋषिकेश मिश्रा के फ़ेसबुक वाल से साभार 

ये जो शॉर्टकट हैपाप धोने की, यह ब्राह्मणवादी धर्म की साजिस हैशोषण और व्यवसाय को बढ़ाने के लिए। मनुष्य का पाप नहीं कोई धो सकता हैनहीं माफ कर सकता है। सच तो यह है कि खुद ही कर्मों का फल झेलना पड़ता है। परन्तु भारत में पूर्ण जमात का धंधा ही ठगी और झूठ हैअन्धविश्वास और मूढ़ता है। उनके लिए धर्म और ठगी एक ही चीज है।
कुछ लोग बहुसंख्य लोगों को बेवकूफ़ बना रहे हैंटोपी पहना रहे हैं कभी अंगूठी के नाम परकभी कभी भस्म-भभूत के नाम पर कभी हवन और कर्मकांड के नाम परतो कभी बलि देकर। यह जो ठगी और अन्धश्रद्धा आधारित कारोबार चल रहा हैउसको भारत के समाज का एक बड़ा हिस्सा मान्यता प्राप्त है।
अजीब अजीब से विचार है आप बिल्ली के रास्ते काटने के लिए जा सकते हैं, कोई ख़राब दिया या कोई छिंक दिया तो कभी कुछ अर्थ हो सकता है, कभी कुछ यह सब व्याख्या करने वाले पर निर्भर करता है यदि उत्तर की ओर मुड़कर छिन्के तो अलग अर्थ है, दक्षिण की ओर तो अलग लगता है पूरा समाज पागलपन में शामिल है खुद को जो समाज का श्रेष्ठ जन कहते हैं, उनको ऐसा करना चाहिए कि समाज को सही दिशा बताएं अपने सकारात्मक और वैज्ञानिक परम्परा को मानने के लिए कहें तो ठीक है। परंपरा के नाम पर इतना छल और देश का नुकसान! उनसे कहना है कि लोगों को उनके कर्मों के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए, काहे समाज को गलत दिशा दिखा रहे हैं प्रभु?
Previous Post Next Post